Holi Ka Mahatva, Holi Kab or Kaise Manaye

आप सभी को “सिवान बाजार टीम” के तरफ से होली की हार्दिक शुभकामनाएँ ।

आये जानते है होली का क्या महत्व? होली का त्यौहार हम सब की अपनी सांस्कृतिक, धार्मिक और पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार प्राचीन समय से मनाया जा रहा है|  होली का उल्लेख भारत की बहुत से पवित्र पौराणिक पुस्तकों जैसे की दसकुमार चरित, संस्कृत नाटक,  पुराण और रत्नावली में किया गया है|

होली  पर्व पूरे भारत में हिंदुओं के सभी समुदाय के लोग का बहुत बड़ा त्यौहार है, प्राचीन भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस त्यौहार का जश्न मनाने के पीछे कई किंवदंतियों रही हैं.

होली का यह त्यौहार केवल रंगों, अच्छे व्यंजन खाने पर्व का नहीं बल्कि भाईचारे का भी त्यौहार है, जैसे की त्यौहार के दोरान सभी रंगों का इस्तमाल करते हैं ठीक वैसे ही आपस में सभी दुश्मनी, उच्च-नीच का भेद भाव भूलकर आपस में भाईचारे की भावना से रहने का सपथ लेते है और एक दुसरे के साथ मिल्झुलकर होली मनाते है|

होली का पर्व देश के अलग अलग प्रान्त में बहुत धूमधाम से मनाता है| अलग-2 प्रान्तों में उनके परम्परा के अनुसार इसे अलग रीती निति से मनाया जाता है| होली का त्यौहार हम सब को एक साथ मिलझूलकर रहने की प्रेरणा देता है|

होली कब मनाई जाती है:

होली का दिन बहुत ही शुभ और खुशियों का दिन होता है| होली हर साल वसंत ऋतू के फागुन यानि की मार्च के महीने में मान्य जाता है जिसे पूर्णिमा के दिन होलिका दहन के साथ शुरू होता है|  सबसे ज्यादा ख़ुशी देने वाला त्यौहार होता है  और इसके आने पर सर्दी ख़तम हो जाती है और गर्मी की शुरुआत होती है| भारत के कुछ हिस्सों में इस त्यौहार को किसान अच्छी फसल पैदा होने की ख़ुशी में भी मनाते हैं.

होलिका दहन शुभ मुहूर्त -2023:

8 मार्च, 2022 (बुधवार)

होलिका दहन रविवार, मार्च 7, 2023 को
होलिका दहन मुहूर्त – 06:24 PM से 08:51 PM

रंगवाली होली शुक्रवार, मार्च 8, 2023 को

होलिका दहन प्रदोष के दौरान उदय व्यापिनी पूर्णिमा के साथ
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – मार्च 07, 2023 को 13:25  बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त – मार्च 08, 2023 को 12:45 बजे

 

होली का त्यौहार फागुन के अंतिम दिन शाम में ढोल झाल बजाते हुवे होलिका दहन करते है और अगले दिन सुबह सभी लोग आपस में मिलते हैं, गले लगते हैं और एक दुशरे को रंग और अबीर लगाते हैं| इस दौरान पूरी प्रकृति और वातावरण बेहद सुन्दर और रंगीन नज़र आती है. इस पर्व को एकता, प्यार,खुसी, सुख और बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में जाना जाता है|

होली क्यों मनाई जाती है :

होली मानाने का भारत में अलग अलग पौराणिक परम्परा और महत्व है, जिसे आप निचे पढ़े :

होली त्यौहार मानने का पहला पौराणिक महत्व प्रहलाद, होलिका और हिरण्याकश्यप की इतिहास से है। बहुत समय पहले दुनिया में हिरण्याकश्यप नामक एक राक्षस राजा था जिसकी बहन का नाम होलिका था और उसका पुत्र प्रह्लाद था। बहुत वर्षों तक तपश्या करने के बाद, उसे भगवान ब्रह्मा द्वारा पृथ्वी पर शक्तिशाली आदमी होने का वरदान प्राप्त हुआ। प्राप्त शक्तियों ने उसे अंहकारी बना दिया, उसे महसूस होने लगा की केवल मई ही अलौकिक शक्तियों वाला भगवान है। वह तो उसने हर किसी से खुद को भगवान के रूप में उसे पूजा करने की मांग शुरू कर दी।

लोग बहुत कमजोर और डरे हुए थे और बहुत आसानी से उसका अनुकरण करना शुरू कर दिया, हालांकि, उसका बेटा जिसका नाम प्रहलाद था, अपने ही पिता के फैसले से असहमत था। प्रहलाद बचपन से ही बहुत धार्मिक व्यक्ति था, और हमेशा भगवान विष्णु को समर्पित रहता था। प्रहलाद का इस तरह के व्यवहार उसके पिता, हिरणयाकश्प को बिल्कुल पसन्द नहीं था। उसने प्रलाद को कभी अपना पुत्र नही माना और उसे क्रूरता से दण्ड देना शुरु कर दिया। हालांकि, प्रहलाद हर बार आश्चर्यजनक रुप से कुछ प्राकृतिक शक्तियों द्वारा बचाया गया।

अंत में, वह अपने बेटे के साथ तंग आ गया और कुछ मदद पाने के लिए अपनी बहन होलिका को बुलाया। उसने अपने भतीजे को गोद में रख कर आग में बैठने की एक योजना बनाई, क्योंकि उसे आग से कभी भी नुकसान न होने का वरदान प्राप्त था। उसने आग से रक्षा करने के लिए एक विशेष शाल में खुद को लपेटा और प्रहलाद के साथ विशाल आग में बैठ गयी। कुछ समय के बाद जब आग बडी और भयानक हुई उसकी शाल प्रहलाद को लपेटने के लिए दूर उडी। वह जल गयी और प्रहलाद को उसके भगवान विष्णु द्वारा बचा लिया गया। हिरण्याकश्प बहुत गुस्से में था और अपने बेटे को मारने के लिए एक और चाल सोचना शुरू कर दिया।वह दिन जब प्रहलाद को बचाया गया था होलिका दहन और होली को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक के रूप में मनाना शुरू कर दिया।

होली महोत्सव का एक अन्य पौराणिक महत्व राधा और कृष्ण की कथा है। ब्रज क्षेत्र में होली के त्यौहार को मनाने के पीछे राधा और कृष्ण का दिव्य प्रेम है। ब्रज में लोग होली दिव्य प्रेम के उपलक्ष्य में को प्यार के एक त्योहार के रूप में मनाते हैं। इस दिन, लोग गहरे नीले रंग की त्वचा वाले छोटे कृष्ण को और गोरी त्वचा वाली राधा को गोपियों सहित चरित्रों को सजाते है। भगवान कृष्ण और अन्य गोपियों के चहरे पर रंग लगाने जाते थे।

दक्षिणी भारतीय क्षेत्रों में होली के अन्य किंवदंती, भगवान शिव और कामदेव की कथा है। लोग होली का त्यौहार पूरी दुनिया को बचाने के लिये भगवान शिव के ध्यान भंग करने के भगवान कामदेव के बलिदान के उपलक्ष्य में मनाते है।

होली कैसे मनाये :

आज के समय में दुकानों पर रंगों और गुलाल के नाम पर chemicals से बने powder बिक रहे हैं जो हमलोग के सेहत के लिए हानिकारक और नुकशान दायक   है खाश कर के बच्चों के लिए| इसलिए ख़राब रंग और गुलाल से बचे|

हमें इस पुराने और प्रशिद्ध त्योहार को अच्छे और सही तरीके से मनाने के लिए अचे रंग और गुलाल का उपयोग करना चाहिये| 

आये जानते है होली के दिन क्या करे और क्या न करे :

  • रंग खेलने से पहले पुरे शरीर पे moisturise cream लगा ले
  • होली के दिन organic और naturals रंगों का इस्तेमाल करें|
  • होली के दिन पुरे बदन को पुराने या होली खेलने योग्य कपड़ा पहने ताकि आपका कपड़ा आपकी त्वचा को बचा सके|
  • सर पर आप टोपी का इस्तमाल कर सकते हैं ताकि बालों को नुकसान न हो
  • बीमार व्यक्ति को रंग से बचना चाहिए
  • Chemicals या synthetic रंग का इस्तेमाल बिलकुल भी ना करें
  • रंगों को किसी भी व्यक्ति के आँख, नाक, मुह और कान में ना डालें
  • रंगों को दुसरे किसी पर भी जबरदस्ती ना डालें और ना ही जानवरों पर लगायें

हिंदी में होली की शायरी अपने जानने वाले भेजे :

रंगों के त्यौहार में सभी रंगों की हो भरमार,
ढेर सारी खुशियों से भरा आपका संसार,
यही दुआ है भगवान से हमारी हर बार,
होली मुबारक हो मेरे यार !

अपने दिल का हाल बताना छोड़ दिया,
हमने भी गहराई में जाना छोड़ दिया.
अरे यह क्या ?
होली से पहले आपने नहाना छोड़ दिया !!

Holi का Gulal हो
रंगों की बहार हो
गुजिया की मिठास हो
एक बात ख़ास हो
सब के दिल में प्यार हो
यहि अपना त्यौहार हो
Wish U very Happy Holi

मथुरा की खुशबू ,गोकुल का हार,
वृन्दाबन की सुगंध ,बरसाने की फुहार !
राधा की उम्मीद ,कान्हा का प्यार ,
मुबारक हो आपको होली का त्यौहार !!

रंगों की ना होती कोई जात
वो तो लाते बस खुशियों की सौगात
हाथ से हाथ मिलाते चलो!
होली हैं होली रंग लगाते चलो

खुदा करे यह अवसर हर बार चांद बनकर आए
हर रंग की महक शान बनकर आए!
कभी दूर न हो आपके चेहरे से हंसी
होली का ये त्यौहार ऐसा मेहमान बनकर आए

प्यार के रंगों से भरो पिचकारी,
स्नेह के रंगों से रंग दो दुनिया सारी!
ये रंग न जाने न कोई जात न बोली,
सबको हो मुबारक ये हैप्पी होली!

इन रंगो से भी सुन्दर हो ज़िन्दगी आपकी,
हमेशा महकती रहे यही दुआ हैं हमारी,
कभी न बिगड़ पाए ये रिश्तो के प्यार की होली
ए-मेरे यार आप सबको मुबारक हो ये होली

निकलो गलियों में बना कर टोली।
भिगा दो आज हर एक की झोली!
कोई मुस्कुरा दे तो उसे गले लगा लो वरना निकल लो,
लगा के रंग कह के हैप्पी होली

होली तो बस एक बहाना है रंगों का;
ये त्यौहार तो है आपस में दोस्ती और प्यार बढाने का;
चलो सारे गिले शिकवे दूर कर के एक दुसरे को खूब रंग लगते हैं;
मिलकर होली मानते हैं.
होली मुबारक हो!

प्यार, स्नेह, समर्पण, दुलार,
महोब्बत, सदभावना, सद्विचार,
इन सात रंगों की रहे बौछार,
आज का दिन लाये आपके जीवन में सतरंगी बहार
HAPPY HOLI