Diwali and Dhanteras Pooja Vidhi or Subh Murhat





दिवाली एक हिन्दू के पवित्र त्यौहार है जिसकी शुरुआत धन तेरस से होती है। धन का मतलब रूपया, सम्पति और कुबेर होता है और तेरस कृष्णा पक्ष का तेरहवे दिन होता है| यह हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को मनाए जाते है। हिन्दू समाज में धनतेरस सुख-समृद्धि, यश और वैभव का पर्व माना जाता है। इस दिन धन के देवता कुबेर महाराज और आयुर्वेद के देव धन्वंतरि की पूजा की बहुत बरी महत्त्व है।स्कन्द पुराण के अनुसार यह महापर्व देवताओं के वैद्य धन्वंतरि अमृत कलश सहित सागर मंथन से प्रकट हुए थे| जिसके कारण इस दिन धनतेरस के साथ-2 धन्वंतरि जयंती भी मनाई जाती है।

हिन्दू शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि माता लक्ष्मी अमावस्या की काली रात सुख-समृद्धि बांटती हैं। धन पाने के लिए लक्ष्मी पूजा से बढ़कर कोई पूजा नहीं होता है। पुरे परिवार घर में सुख-समृद्धि बनी रहे और लक्ष्मी घर में स्थिर बने रहे इसी कमाना के साथ पूजा करते हैं। कुछ लोग सुख-समृद्धि पाने के लिए पूरे दिन माता लक्ष्मी का व्रत भी रखते है और शाम में पूजा करते है |

दिवाली 12 नवंबर 2023 2023:

दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त :

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त : 05:40 PM से 07:36 PM तक अवधि : 1 घंटे 56 मिनट





धनतेरस में खरीदारी का शुभ मुहूर्त(Dhanteras me kharidari ka subh murhat) :

10 नवंबर 2023 को धनतेरस वाले दिन शाम 05.47 PM बजे से 07.43 PM बजे तक पूजा करने का समय:

  • धनतेरस पूजा तिथि : 10 नवंबर 2023,
  • धनतेरस पूजन मुर्हुत : सायं 05:47 pm बजे से 07:43 pm बजे तक

धनतेरस के दिन खरीददारी (Dhanteras Pe Shoping) :

धनतेरस के दिन नई बस्तुवे की खरीदारी सुबह मन जाता है इसलिए  इस पर्व में मुख्य रूप से नए बर्तन या सोना-चांदी खरीदारी करने की परंपरा है। पुराणों या शास्त्रों के अनुसार, धन्वंतरि जी के जन्म के समय हाथों में अमृत का कलश था, इसलिए इस दिन बर्तन खरीदना अति शुभ मन जाता है। विशेषकर पीतल और चाँदी के बर्तन खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है।





धनतेरस की पूजा करने की विधि(Dhanteras ki Puja Karne Ki Vidhi) :

सर्वप्रथम स्नान कर ले और साफ कपड़े पहने| उसके बाद निचे दिए गए विधि करे :-

  • एक लकड़ी के पट्टी पर रोली के माध्यम से स्वस्तिक का निशान बनाये।
  • फिर एक मिटटी के दिप को उस लकड़ी के पट्टी पर रख कर जलाएं।
  • दिप के चारो तरफ या पुरे पूजा स्थल पे तीन बार गंगा जल का छिडकाव करें।
  • दिप पे रोली का तिलक लगायें, उसके बाद रोली के तिलक पर चावल रखें।
  • दिप में थोड़ी चीनी डालें।
  • इसके बाद आपने इक्षा अनुसार सिक्का दिए में डालें।
  • दिप पर थोड़े फूल चढायें।
  • दिप को शर झुककर प्रार्थना करें।
  • परिवार के सभी सदस्यों को तिलक लगायें।

अब दिप को अपने घर के गेट के पास रखें और ध्यान दे की उस दिप को दाहिने तरह रखें और यह सुनिश्चित करें की दिप की लौं दक्षिण दिशा की तरफ जाये।

इसके बाद यम देव के लिए मिटटी का दिप जलायें और फिर धन्वान्तारी पूजा घर में करें।

अपने पूजा घर में भेठ कर धन्वान्तारी मंत्र का 108 बार जाप करें:

“ॐ धन धनवंतारये नमः”

जब आप 108 बारी मंत्र का जाप कर चुके होंगे तब इन पंक्तियों का उच्चारण करें “है धन्वान्तारी देवता में इन पंक्तियों का उच्चारण अपने चरणों में अर्पण करता हूँ।

धन्वान्तारी पूजा के बाद गणेश जी और माता लक्ष्मी जी की पंचोपचार पूजा करना अनिवार्य है इसलिए गणेश जी और माता लक्ष्मी जी के लिए मिटटी के दिप और धुप जलाकर उनकी पूजा करें। भगवान गणेश जी और माता लक्ष्मी जी के चरणों में फूल अर्पित करे और  मिठाई का भोग लगायें।