दीपावली पूजन विधि और शुभ मूहूर्त

12 नवंबर 2023 शुभ दिवाली





दीपावली हिन्दुओ का पवित्र त्यौहार है और इस दिन माँ लक्ष्मी जी व गणेश जी के साथ माँ सरस्वती जी की भी पूजा की जाती है। भारत मे दीपावली परम्परा व श्रद्धा का त्यौंहार है। दीपावली के दिन शाम में दिप जलाकर का पूजन किया जाता है।

दीपावली के दिन प्रत्येक हिन्दू, वो चाहे व्यवसायिक हो, किसी कार्य से हो या फिर सरकारी नौकरी में हो, प्रत्येक हिन्दू व्यक्ति अपने दुकान एवं घर पर माँ लक्ष्मी एवं गणेश जी का विधिवत पूजा कर धन की देवी लक्ष्मी जी से सुख-समृद्धि एवं गणेश जी से बुद्धि की कामना करते है।

दीपावली क्यों और कैसे मनाई जाती है(Diwali kyo or kaise Manayi Jati hai) :

शुभ दीपावली प्रकाश का पर्व हैं जो हमें सीख देता हैं कि हर व्यक्ति के जीवन में सुख दुःख सदैव आते-जाते रहता है। इसलिए मनुष्य को समय के साथ आगे बढ़ते रहना चाहिए। न दुःख में टूटना चाहिए और न ही सुख व धन की घमंड करना चाहिए। दिवाली मानाने का यह भी महत्व उस पौराणिक कथाओं में छुपा हुआ हैं की भगवान का स्वरूप होते हुए भी राम जी, लक्ष्मण जी एवम सीता जी को भी जीवन में बहुत सारे कष्ट सहना पड़ा था। दिवाली त्यौहार के पीछे मर्यादा पुरषोतम राम जी के चरित्र का वर्णन हैं|




जिसमे राम जी के के द्वारा चरित्रहीन रावण का बध्य कर विजयी प्राप्त करने के बाद अयोध्या लौटे थे जिसके खुसी में पुरे अयोध्या वासी दिप जलाकर उनका स्वागत किये थे और उस परम्परा को हमलोग मानते आ रहे है| इससे से हमें ये सीख मिलती हैं कि कोई कितना भी ज्ञानवान और धनवान क्यों न हो लेकिन उसे घमंड आ जाये तो उसका अंत निश्चित हैं। इस तरह दीपावली पर्व मनुष्य को अन्धकार से प्रकाश की तरफ ले जाने का संकेत देती है।

भले ही इस दिन अमावस्या हो लेकिन हिन्दू धर्म के रोशनी के त्यौहार यानी ‘दीपावली’ दिप से पूरा भारत व विदेशो में भी भारतीय दिप से जगमगाता रहता है। पुराणों के अनुसार दिवाली की परम्परा हजारो बर्षो से है जब श्रीराम लंकापति रावण को पराजित कर और अपना वनवास समाप्त कर अयोध्या वापस लौटे थे। उस दिन अयोध्यावासियों ने कार्तिक अमावस्या की रात अपने-अपने घरों में घी के दीप जलाकर खुशियाँ मनाई थी।

दीपावली के दिन पूजन करने की विशेष महत्त्व है। दिवाली पर विशेष रूप से लक्ष्मी जी और गणेश जी की पूजन करने की परंपरा है। माँ लक्ष्मी और गणेश जी पूजन के साथ कुबेर पूजन एवं बही-खाता पूजन भी कि जाती है। दिवाली के दिन कुछ लोग पुरे दिन उपवास रहकर, शाम में पूजा करते है। उपवास करने वाले फलाहार व्रत भी कर सकते है।




दिवाली पूजन शुभ मुहूर्त(Diwali Puja Shubh Muhurat):

दिवाली पूजन मुख्यतः तीन कालो में वर्गीकृत किया जाता है :

दीवाली लक्ष्मी पूजा शुभ मुहूर्त

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त : 05:40 PM से 07:36 तक

अवधि : 1 घंटे 56 मिनट

दिवाली पांच दिवसीय पर्व (Diwali 5 Day Celebration)

धनतेरस (Dhanteras) : 10 नवंबर 2023 शुक्रवार 05:47 PM- 07:43 PM
छोटी दिवाली (Chhoti Diwali) : 11 नवंबर 2023 शनिवार 5:39 PM – 8:16 PM
दिवाली (Diwali) : 12 नवंबर 2023 रविवार 05:39 PM – 07:35 PM
गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) : 13 नवंबर 2023 सोमवार 6:14 AM- 8:35 AM
भाई दूज (Bhai Dooj) : 14 नवंबर 2023 मंगलवार 1:10 PM- 3:22 PM

 




दीपावली व लक्ष्मी पूजन सामग्री (Diwali ke din lakshmi Puja Samangri ) :

माँ लक्ष्मी को लाल या पीले रंग का रेशमी वस्त्र प्रिय है इसलिए इसी रंग की चुन्नी चढ़वा चढ़ाते है, देवी माँ लक्ष्मी जी की पूजा में दीपक, कलश, जावित्री, मोदक,कमल पुष्प, श्रीफल, अनार के फल, गुलाब, चन्दन इत्र, चावल, सीताफल, बेर, केसर की मिठाई, शिरा आदि का प्रयोग करते है। गाय की शुद्ध घी, मूंगफली या तिल के तेल के की दिप जलाकर माँ लक्ष्मी जी की आरती करते है जिससे प्रसन्न माता लक्ष्मी होती है।

दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजा करने की विधि :
  • सबसे पहले माँ लक्ष्मी व गणेशजी की प्रतिमाओं को साफ कर पूजन चौकी पे रखें। ध्यान रहें कि उनका चेहरा पूर्व या पश्चिम दिशा की ओर रहें और लक्ष्मी जी की प्रतिमा, गणेशजी के दाहिनी तरफ रखे।
  • मिटटी की कलश को माँ लक्ष्मी जी के पास रँगे चावलों पर रखें और उसपे आम के पत्ती को ऊपर रखे और साबुत नारियल फल को लाल वस्त्र में लपेट कर उसे कलश पर रखें। यह कलश वरुण का प्रतीक होता है।
  • दो दिप को जलाये – एक घी की दीपक और दूसरें को तेल से भर कर और एक दीपक को चौकी के दाईं ओर और दूसरें को लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमाओं के चरणों में रखें।
  • लक्ष्मी और गणेश जी के मुर्तिया को सुसज्जित चौकी के समक्ष एक छोटी चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाएं, उस लाल वस्त्र पर चावल से नवग्रहक बनाएं और साथ ही रोली से स्वास्तिक एवं ॐ का चित्र बनाएं।
  • पूजा करने हेतु उत्तर या पूर्व दिशा की ओर अपनी मुख करके बैठे और माता की स्तुति और पूजा के बाद दीप दान भी अवश्य करें।

लक्ष्मी पूजा केवल प्रदोष काल में ही माता लक्ष्मी की पूजा करें। लक्ष्मी पूजा के समय लक्ष्मी मंत्र का उच्चारण करते रहें – ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम: