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सीवान: बिहार के सीवान में जहां एक ओर शिक्षक जातीय गणना में लगे हैं तो वही दूसरी ओर न्यायालय के एक आदेश ने शिक्षकों के बीच हड़कंप मचा दिया है. न्यायालय के एक आदेश ने जिले के अप्रशिक्षित 65 शिक्षकों के नौकरी पर तलवार लटका दिया है. इन 65 शिक्षकों की रात की नींद और दिन का चैन तक उड़ गया है. न्यायालय के आदेश के पश्चात सीवान जिले के 65 अप्रशिक्षित शिक्षकों को हटाने का निर्देश भी शिक्षा विभाग ने जारी कर दिया है. ऐसे शिक्षक जल्द ही हटाए जाएंगे. इसको लेकर विभाग ने नियोजन समितियों को निर्देशित कर जल्द से जल्द कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.

22 अक्टूबर 2022 तक प्राप्त करना था प्रशिक्षण
डीईओ कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार सीवान जिले के शिक्षकों को 22 अक्टूबर 2022 तक प्रशिक्षण प्राप्त करना था. हालांकि जिले के 65 शिक्षक तय तिथि तक प्रशिक्षण प्राप्त नहीं कर सके. ऐसे अप्रशिक्षित 65 शिक्षकों को हटाने का आदेश शिक्षा विभाग ने जारी कर दिया है. आदेश जारी होते ही सेवारत अप्रशिक्षित शिक्षकों में हड़कंप मच गया है.

बता दें कि बीईओ को संबंधित नियोजन इकाईयों से समन्वय बनाते हुए आदेश का तामिला कर आगे की कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है. आदेश के तामिला के लिए पत्र जारी होने की तिथि से तीन दिनों के अंदर सभी बीईओ को संबंधित नियोजन इकाई से समन्वय स्थापित करते हुए अप्रशिक्षित शिक्षकों की सेवा समाप्ति के लिए आगे की कार्रवाई करना है. मामला सीडब्लूजेसी अताउर रहमान एवं अन्य बनाम राज्य सरकार एवं अन्य में पारित आदेश से जुड़ा हुआ है. हालांकि इस मामले में आगे की कार्रवाई अब नियोजन इकाई पर टिकी है.

प्रशिक्षण उर्तिणता पूर्णता तिथि से माना जाएगा नव नियुक्ति
वैसे शिक्षक जिनका प्रशिक्षण 31 मार्च 2019 के बाद व 19 अक्टूबर 2022 के बीच पूर्ण हुआ है, उन्हें प्रशिक्षण उर्तीणता पूर्णता तिथि से नव नियुक्ति माना जाएगा और प्रशिक्षण प्राप्ति के पूर्व की उनकी सेवा की गणना किया जाएगा. वैसे शिक्षक जिन्होंने प्रशिक्षण 31 मार्च 2019 तक पूर्ण कर लिया है और परीक्षा में उत्तीर्ण हुए है, किन्तु उनका प्रशिक्षण प्रमाण पत्र निर्गत नहीं हुआ है, वे सेवा में बने रहेंगे.

 

साथ ही वैसे शिक्षक जो 19 अक्तूबर 2022 तक प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके है, किन्तु याचिका न्यायालय में विचाराधीन रहने की अवधि में सेवामुक्त कर दिए गए है, उनकी पुर्ननियुक्ति की जाएगी और उन्हें प्रशिक्षण परीक्षा उत्तीर्ण होने की तिथि से नियुक्त माना जाएगा.

साथ ही वैसे शिक्षक जो ईग्नू द्वारा आयोजित डीपीई का दो वर्षीय प्रशिक्षण प्राप्त किए हैं. किन्तु छह माह के ब्रिज कोर्स को पूर्ण नहीं कर सके हैं, वे सेवा में बने रहेगें, लेकिन उन्हें विभाग द्वारा आयोजित छह माह के ब्रिज कोर्स उत्तीर्ण करना आवश्यक होगा.

बीईओ को सौंपी गई है जिम्मेदारी
डीपीओ स्थापना अवधेश कुमार ने कहा कि न्यायालय के आदेश के बाद विभागीय पत्र के आलोक में वैसै अप्रशिक्षित शिक्षकों को सेवा से हटाने का आदेश जारी किया गया है, जिन्होंने किसी कारणवश 22 अक्टूबर 2022 तक प्रशिक्षण प्राप्त नहीं कर सके हैं. आदेश का अनुपालन के लिए प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी गई है.

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