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सीवान: बिहार के सीवान जिला के अंतर्गत महाराजगंज का शुरवीर गांव अपने अंदर एक रहस्य को समेटे हुए है. यह जिला का इकलौता गांव है, जहां एक भी मंदिर नहीं है. यहां के देवी-देवता खुले आसमान के नीचे विराजते है. जिन लोगों ने मंदिर बनाने का प्रयास किया उनकी मौत रहस्यमई तरीके से हो गई.

यही वजह है कि इस गांव में किसी भी स्थान पर मंदिर बनाने की जुर्रत स्थानीय लोग नहीं करते हैं.गांव के एक शख्स ने मंदिर बनाने का हिम्मत दिखाई तो रहस्यमय तरीके से उनकी मौत हो गई.70 वर्षीय राम कृपाल पांडेय बताते हैं कि ऐसे तो सदियों से गांव में मंदिर नहीं है. जिन लोगों ने मंदिर बनाने की बात कही या सोची उन्हें या तो सांप के डंसने से या फिर रहस्यमय तरीके से मौत हो गई. हालांकि 5 वर्ष पूर्व इस तरह की घटना हो चुकी है. तब से लोगों में डर और पनप गया. लोगों को डर बना रहता है कि अगर वह मंदिर बनाने के लिए आगे आए तो कहीं मौत न हो जाए.

नाग-नागिन के जोड़े के डंसने से अधिकांश की हुई है मौत

शूरवीर गांव में जिन लोगों ने भी मंदिर बनाने के बात की या सोची उनमें से अधिकांश लोगों की मौत नाग-नागिन के जोड़े के डंसने की वजह से हुई है. स्थानीय लोग बताते हैं कि गांव में हीं वर्षो पुराना पीपल का वृक्ष है. उक्त वृक्ष पर भी नाग-नागिन का जोड़ा रहता है.

स्थानीय राम कृपाल पांडेय बताते हैं कि शूरवीर गांव में देवी-देवता के 8 स्थान है. सभी खुले आसमान में विराजते हैं. ग्रामीणोंने बताया कि नाग को आए दिन सभी देखते हैं. नाग-नागिन का जोड़ा शिवलिंग के आस-पास ही निवास करते है. नाग-नागिन के जोड़े को देख स्थानीय लोग अपना रास्ता बदल देते हैं.

अधिकांश लोग घरों में ही करते हैं पूजा

ग्रामीण बताते हैं कि सांप के डंसने और रहस्यमय तरीके से मौत होने की वजह से कई ऐसे परिवार हैं जो घर में ही फोटो या कैलेंडर लगाकर देवी-देवताओं की पूजा करते हैं. जबकि कुछ लोगखुले आसमान के नीचे बिराज रहे देवी-देवताओं की पूजा करने जाते हैं. जहां लोगों के मन में डर भी बना रहता है. इसके बावजूद श्रद्धा से लोग पूजा करते हैं. ग्रामीणों का मानना है कि उम्मीद ही नहीं है कि शूरवीर गांव में कभी मंदिर बन पाएगा.