[ad_1]

सीवान: बिहार के सीवान का बड़ी सौगात मिलने वाली है. इससे सिर्फ सीवान का विकास ही नहीं बल्कि स्थानीय लोगों के रोजगार का भी रास्ता खुलेगा. दरअसल, सीवान के तीतर स्तूप को कई वर्षों से राष्ट्रीय पर्यटन का दर्जा देने की मांग चल रही थी. इसको लेकर स्थानीय लोगों ने जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ सूबे के मुख्यमंत्री और पर्यटन मंत्री को आवेदन लिखकर ध्यान आकर्षित कराया था.

यहां तक कि शोधकर्ता व इतिहासकार कृष्ण कुमार सिंह पर्यटन मंत्री और पर्यटन विभाग विकास समिति के सभापति तक को तीतर स्तूप का भ्रमण कराकर महत्व को बताया था. जिसके बाद पर्यटन विभाग विकास समिति के सभापति का ध्यान गया और अब तीतर स्तूप को राष्ट्रीय पर्यटन का दर्जा दिलाने की बात कही. जिससे तीतर स्तूप के राष्ट्रीय पर्यटन स्थल घोषित होने का रास्ता साफ हो गया. जिसको लेकर लोगों में खासा उत्साह देखा जा रहा है.

2018 में हुआ था तीतर स्तूप का उत्खनन

शोधकर्ता कृष्ण कुमार सिंह बताते हैं कि 22 जनवरी 2018 को भारतीय पुरातत्व विभाग पटना अंचल की ओर से सहायक पुरातात्विक शंकर शर्मा के नेतृत्व में तीतर स्थित बाणीगढ़ का उत्खनन किया गया था. जिसमें कई पुरातात्विक साक्ष्य मिले. वह पांचवीं शताब्दी ईसा पूर्व से पांचवीं सदी के बीच की होने की संभावना व्यक्त की गई. उत्खनन में अन्य कई साक्ष्य मिले है. जिससे यह सिद्ध हुआ था कि यह स्थल भगवान बुद्ध से जुड़ा हुआ है. जिसके बाद से ही तीतर स्तूप को राष्ट्रीय पर्यटन स्थल का दर्जा देने, बौद्ध सर्किट से जोड़ने की मांग चल रही थी. जो अब साकार होता नजर आ रहा है. उन्होंने बताया कि सभी अवशेषों को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम अपने साथ लेकर चले गए.

 

खुदाई के दौरान मिले थे प्राचीन अवशेष

सीवान जिले के जीरादेई प्रखंड के तितरा टोला के बंगरा में तीतर स्तूप पर पुरातत्व विभाग की खुदाई के दौरान प्राचीन अवशेष मिले थे. पुरातात्विक विभाग की मानें तो जितनी भी वस्तुएं मिली हैं, वे सभी बौद्ध कालीन थे. तीतर स्तूप स्थल से खुदाई में भवनावशेष, धूसर मृदभांड, एनबीपीडब्ल्यू (नॉदर्न ब्लैक पॉलिस वेयर) और कुषाणकालीन टेराकोटा (मिट्टी का पकाया हुआ) की बुद्ध की आकृति जैसी खंडित प्रतिमाएं, धूपदानी, खिलौने व हिरन की प्रतिमा मिली थी. इस दौरान एनबीपीडब्ल्यू के अवशेष भी मिले जो बौद्धकालीन बताये जाते हैं. साथ ही कुछ पक्की ईंटें , टेराकोटा से निर्मित दर्जनों अवशेष प्राप्त हुए हैं जो कुषाण कालीन थे. वहीं गढ़ से पश्चिम सतह से लगभग 3000 वर्ष पुराना धूसर मृदभांड (ग्रे वेयर) भी मिला था.

होय के यात्रा वृतांत में है इसका विशेष उल्लेख

सीवान के बारे में अंग्रेज पुरातत्ववेदा डब्ल्यू होय ने अपनी यात्रा वृतांत में विशेष उल्लेख किया है. उन्होंने जीरादेई प्रखंड के राजस्व गांव तितरा टोले बंगरा में स्थित विशाल बौद्धस्तुपमा टीला को तीतर स्तूप बताया है. उन्होंने लिखा है कि इसी स्तूप के नाम पर तितरा गांव का नाम पड़ा है. केपी जायसवाल शोध संस्थान, पटना के पूर्व निदेशक डॉ. जगदीश्वर पांडेय ने अपने अभिलेख में लिखा है कि तितरा गांव के आस-पास एक बहुत बड़ा स्तूप है, जो तितर स्तूप के नाम से जाना जाता है. यह चीनी यात्री ह्वेनसांग द्वारा वर्णित तितर स्तूप प्रतीत होता है, जिसके निकट महात्मा बुद्ध का महापरिनिर्वाण हुआ था. गढ़ से उत्तर दिशा में स्थित तालाब के पूर्वी किनारे पर प्राचीन भवनावशेष मिला था. उन्होंने बताया कि पक्की ईंटों से निर्मित फर्श युक्त दीवार संरचनाओं की ईंटों का आकार 37 सेंटीमीटर लंबा, 22 सेंटीमीटर चौड़ा और 5.5 सेंटीमीटर मोटा थी और दीवार की चौड़ाई 60 सेंटीमीटर थी

बौद्ध साहित्य में है इस स्थल का जिक्र

शोधार्थी व प्राचीन कुसिनारा के लेखक कृष्ण कुमार सिंह ने बताया कि त्रिपिटक, बौद्ध साहित्य तथा चीनी तीर्थ यात्रियों फाहियान, ह्वेनसांग, इतिसांग, ताइसांग के यात्रा वृतांत में वर्णित अधिकतर चीजें तितरा के आस-पास उपलब्ध हैं. उन्होंने बताया कि बुद्ध की अंतिम यात्रा में पावा से कुसनारा जाने के दौरान दो नदी ककुथा व हिरनवती मिली थी, जो सीवान में मौजूद हैं.

 

पर्यटन विभाग विकास समिति के सभापति ने भी किया अवलोकन

सीवान जिले के जीरादेई प्रखण्ड क्षेत्र के तितरा बंगरा गांव स्थित तीतिर स्तूप का अवलोकन पर्यटन विभाग विकास समिति के सभापति सह दरौली विधान सभा के विधायक सत्यदेव राम ने भी किया. उन्होंने बुद्ध मंदिर में पूजा-अर्चना की तथा तीतर स्तूप को राष्ट्रीय पर्यटन स्थल बनाने की बात कही.उन्होंने कहा कि तीतर स्तूप का सम्बंध भगवान बुद्ध के जीवन काल से है तथा यहाँ पर देश-विदेश के पर्यटक एवं बौद्ध भिक्षु पूजा-अर्चना करने आते रहते है. इसलिए इस स्थल का समुचित विकास पर्यटन की दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है.

मार्च तक तैयार होगा रोड मैप

पर्यटन विभाग विकास समिति के सभापति सत्यदेव राम ने बताया कि आगामी मार्च तक इसके विकास का रोडमैप तैयार हो जाएगा तथा मई माह में पर्यटन विभाग के द्वारा मेला का आयोजन किया जाएगा. आगे कहा कि तीतर स्तूप का विकास होने से जिले के राजस्व में वृद्धि होगी तथा युवाओं को स्वरोजगार का बेहतर अवसर मिलेगा.उन्होंने जीरादेई के बीडीओ को निर्देश दिया कि सीओ से बात कर तीतर स्तूप के भूमि की पैमाइश करा लिया जाय. ताकि आगे का कार्य किया जा सके.

 

[ad_2]

Source link